भारत में पैसा कहाँ छपता है ? जाने पूरी जानकारी हिंदी में ।

Last Updated on October 17, 2023 by Anupam

भारत में पैसा कैसे और कहाँ बनता है ?

आज दुनिया का हर व्यक्ति  पैसा कमाने के पीछे भाग रहा है | इस महंगाई  दुनिया में कोई भी सामान बिना पैसे के नहीं मिलती है | Bharat me paisa kaha banta hai ? वैसे तो भारत में पैसे छापने  का काम RBI करती है | जो नोट RBI छापती  है उसका पेपर कैसे  तैयार किया जाता  है

 

 
हम आपको बता दे की ये पेपर दुनिया के 4 देशो  में बनता है –

 

1.France ki Arjowiggins  2. Swedan ka Gain 3. Paper Fabrics Lucental  4. America ka Portal .केवल यही ऐसे चार देश है जहा वर्तमान समय में इस पेपर को बनाने  की आधुनिक मशीने  है | हलाकि इस पेपर का कुछ भाग भारत के महाराष्ट्र स्थित CNP नोट प्रेस और होशंगाबाद के पेपरमिल मील  में हो जाता है पर फिर भी कुछ पेपर इन चार देशो  से import  करने पड़ते है | 

 

नोट बनाने में कौन सी श्याही का प्रयोग होता है –

हम आपको को बता दे की इन नोटों को बनाने में ओफ़्सेट श्याही का प्रोयग किया जाता है | जिसका निर्माण Madhya Pradesh के देवास में स्थित Bank Note Press  में किया जाता है | इसके साथ साथ आपने नोटों  में उभरी हुई छपाई तो देखी ही होगी | इस छपाई में जिस श्याही का प्रयोग किया जाता है उसका निर्माण भी भारत के राज्य Sikkim में स्थित Swiss Firm में किया जाता है | 

RBI हर साल लगभग 2000crore नोट छापती है | जिसमे से उसे लगभग 40% हिस्सा तो कागज और श्याही खरीदने में लग जाती है | 
 

Bharat me paisa kaha banta hai –

Bharat me note kaha chapta hai ? भारत में नोट छापने  की ये मशीने  Mysore(Karanataka), Salboni(West Bengal), Nashik(Maharashtra), Dewas(Madhya Pradesh)  में स्थित है | Mysore में  विदेशो  से आए पेपर से 2000  के नोट छापे जाते है |  और Dewas  में 20,50,100,500 के  नोट छापे जाते है | Dewas नोट प्रेस  में हर साल लगभग 265 crore नोट छापे जाते  हैं | इसके साथ ही करेंसी नोट प्रेस Nashik में भी 1991 से 1,2,5,10,50,100, के नोट छापे जा रहे है | 
 
 

Bharat me note kaha chapta hai और इनकी  छपाई कैसे की जाती है-

 
विदेशो और होशंगाबाद से आए पेपर शीट  को सर्व प्रथम शाइमंटन  मशीन में  डाला जाता है जहाँ  पर प्रेस मशीन द्वारा पेपर पर Watermark डाला जाता है | हमारे भारत की करेंसी में गांधी जी का Watermark डाला जाता है  | वह भी इसी मशीन द्वारा डाला जाता है | फिर इस Watermarked पेपर का एक बड़ा रोल तैयार किया जाता है जिसे  mother roll भी कहा जाता हैं | इसके कुछ पेपर सैंपल लिए निकाल लिए जाते है जिसका Quality Inspector द्वारा Water marked पेपर की जांच की जाती हैं|

 

 

फिर Mother roll को तीन छोटे roll में बाटने के बाद उसमे Holo gram लगाया  जाता है | आपने नोटों में गोल्डन ,हरा या सिल्वर कलर की लाइन देखि होगी उसे ही Holo gram कहते है |

 
होलोग्राम लगाने के बाद computer द्वारा होलोग्राम और वॉटरमार्क की अच्छी तरह से जांच की जाती है | फिर इन पेपर को मशीन के द्वारा काट लिया जाता है और मशीन इन पेपर को शीट by शीट निकालती जाती है ये सभी काम आटोमेटिक  होता है | एक शीट में लगभग 32 से 48 नोट होते है | इन नोटों पर फिर Silk Screen Printing किया जाता है | आपने 2000 के नोटों में हरे  रंग में  दो हज़ार लिखा देखा होगा उसे ही silk screen printing कहते है |
 
Silk screen printing पूरा होने के बाद उसमे Integleo Printing की जाती है यह नोट तैयार होने की लास्ट स्टेज होती है | जहाँ  texture print किया जाता है इस प्रक्रिया के बाद नोट बन कर तैयार हो जाता  हैं | इन नोटों को एक मशीन की सहायता से equal size में काट  लिया जाता है  तत्पश्चात इन नोटों में नंबर डाले जाते है और इन्हे count  किया जाता है | जो नोट ख़राब होते है उन्हें अलग कर  लिया जाता है और सही नोटों  को पैकिंग करने के बाद RBI  के main branch में भेज दिए जाते है |
 

भारत में RBI के कितने main branch हैं –

भारत में RBI के 18 main branches जिनका नाम -बेलापुर ,भोपाल ,भुनेश्वर ,चंडीगढ़ ,चेन्नई , गुहाटी , हैदराबाद ,जयपुर, जम्मू, कानपुर , कोलकाता ,मुंबई, नागपुर, नई  दिल्ली, पटना , तिरुवनंतपुरम , अहमदाबाद , बेंगलुरु  समेत 18 main branches में पैसा भेज दिए जाते है और इन ब्रांच द्वारा पैसे को अलग अलग बैंको में ट्रांसफर कर दिए जाते है | और इन बैंको के माध्यम से पैसे हम तक आसानी से पहुंच जाते है |

 

ख़राब नोटों का क्या किया जाता है –

जो नोट ख़राब हो जाते है उन्हें बैंको द्वारा main branches RBI को भेज देती है | जहाँ   RBI द्वारा उन नोटों
की जांच होती है और जो नोट वाकीय  में ख़राब  हो जाती है RBI उतने ही नोटों को छापने का आदेश देती है |
जो नोट ख़राब हो जाते है उन्हें RBI पर्यावरण की रक्षा के लिए जलाने  के स्थान पर उन्हें एक मशीन की सहायता से छोटे छोटे टुकड़ो में काट दिए जाते है | फिर इन टुकड़ो को गलाकर  ईंट  के आकार में बनाया जाता है जो की कई कामो में उपयोग किया जाते है |
 

 

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