Cloud Computing Kya hai ?

Last Updated on September 19, 2022 by Anupam

Cloud Computing Kya Hai ? यह कैसे काम करता है ? यह सवाल आपके दिमाग़ में आ रहा होगा । आप में से बहुत लोग ऐसे भी होंगे जो cloud computing के बारे में सुने होंगे । हम आपको बता दे कि अगर आप इंटरनेट का उपयोग करते है है तो कही न कही आप इस सर्विस का उपयोग भी किये होंगे या कर रहे होंगे । आज हम cloud computing के बारे में विस्तार से चर्चा करेंगे कि यह कैसे काम करता है , इसके कितने प्रकार है , इसका उपयोग क्या है और इसका क्या फ़ायदा है ।

Cloud Computing Kya Hai ?

 

cloud computing kya hai
image credit- Pixabay

 

Cloud computing एक ऐसी तकनीक है जिसमे इंटरनेट के माध्यम से अनेक प्रकार की सेवाएं प्रदान की जाती है । यह सेवाएं कुछ भी हो सकती है जैसे की किसी प्रकार का software हो या server पर data store करने के लिए space प्रदान करना या कोई अन्य सेवा हो ।

आसान शब्दों में cloud computing के बारे में कहे तो एक सर्वर पर data store करने के लिए space दिया जाता है जिसे इंटरनेट के जरिये user access कर पाता है और वह चाहे तो वहा अपना कोई भी file आदि document को store कर सकता है । और कभी भी कही से भी यूजर उसे access कर सकता है । जब हम कोई data अपने कंप्यूटर की hard drive में save करके रखते है तो इसे access करने के लिए हमे अपने कंप्यूटर पर ही निर्भर रहना पड़ता है । जबकि क्लाउड कंप्यूटिंग में हमे इंटरनेट पर एक सर्वर पर डाटा स्टोर करने के लिए space मिल जाता है जिसे इंटरनेट के जरिये यूजर कही से भी access कर सकता है ।

Cloud Computing के उदाहरण

Cloud computing technology के बहुत से उदाहरण है पर आज मैं कुछ ऐसे उदाहरणों को आपको बता रहा जिसका उपयोग आप लोग रोजाना अवश्य ही करते होंगे ।

  1. Facebook : यह एक सोशल मीडिया प्लेटफार्म है । जिस पर अनेको लोगो का प्रोफाइल बना हुआ है साथ ही इन सभी का बहुत सारा डाटा मौजूद है । इतने सारे डाटा को स्टोर करके रखने के लिए फेसबुक भी क्लाउड कंप्यूटिंग का उपयोग करता है ।
  2. Youtube : यूट्यूब पर भी रोजाना कितने वीडियो अपलोड होते है । इतने सारे वीडियो को स्टोर करके रखने के लिए यूट्यूब क्लाउड कंप्यूटिंग टेक्नोलॉजी का उपयोग करता है ।
  3. Google Drive क्लाउड कंप्यूटिंग का एक अच्छा उदारहण है इसका प्रयोग कर आप लोग भी अपना डाटा ऑनलाइन इंटरनेट पर स्टोर कर सकते है ।
  4. Education के क्षेत्र में कई ऐसे application मौजूद है जहाँ e-learning जैसे सुविधा मिलती है। यहाँ पर application (software) हमे teaching resource को online access करने में मदत करते है। ये सभी application क्लाउड कंप्यूटिंग टेक्नोलॉजी का उपयोग करते है।
  5. बहुत सारे होस्टिंग कंपनी है जो अपने क्लाउड सर्वर पर वेबसाइट या एप्लीकेशन को होस्ट करते है । इनके क्लाउड सर्वर पर अपने वेबसाइट को होस्ट करने के लिए आपको इनके इस सर्विस को कुछ पैसे देकर खरीदना होता है , उसके बाद ही आप अपने वेबसाइट को होस्ट कर सकते है।

Cloud Computing का इतिहास

1960 के दशक में क्लाउड कंप्यूटिंग की शुरुवात मानी जाती है । उस समय इंटरनेट की सेवा भी उतनी अच्छी नहीं थी। करीब कुछ सालो बाद 1999 में saleforce.com की स्थापना मार्क बेनिऑफ , पार्कर हैरिस और उनके सहयोगियों के द्वारा की गयी। यह saleforce नाम की कंपनी ने उस समय क्लाउड कंप्यूटिंग सर्विस को देना शुरू किया । धीरे धीरे क्लाउड कंप्यूटिंग की महत्वता को लोगो ने समझा और बाद में 21 वी सदी में आ करके कई दिग्गज कंपनी जैसे – गूगल , माइक्रोसॉफ्ट आदि ने क्लाउड कंप्यूटिंग के क्षेत्र में अपनी सेवाएं प्रदान करना शुरू किया।

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Cloud Computing कैसे काम करता है ?

क्लाउड कंप्यूटिंग dual layer technology पर काम करता है। इसमें दो लेयर होते है front end और back end . Back end से सर्वर को मैनेज किया जाता है और front end को यूजर या क्लाइंट इस्तेमाल करते है। इन दोनों लयेरो को मिलाकर क्लाउड कंप्यूटिंग का server setup होता है।

क्लाउड कंप्यूटिंग में बहुत सारे सर्वर होते है जिनमे विशेष सॉफ्टवेयर इनस्टॉल रहते है और इंटरनेट के जरिये इस सॉफ्टवेयर या एप्लीकेशन को operate करते है और यूजर के के लिए क्लाउड सर्विस प्रदान करते है।

Cloud Computing के प्रकार

क्लाउड कंप्यूटिंग को दो आधार पर बांटा गया है –

  • Deployment के आधार पर .
  • Cloud service के आधार पर

(A). Deployment के आधार पर –

  1. Public Cloud Computing
  2. Private Cloud Computing
  3. Hybrid Cloud Computing.

(1). Public Cloud Computing – Public Cloud जैसा की नाम से ही स्पष्ट है कि यह पब्लिक के लिए उपलब्ध रहता है। यह Third Party जैसे की क्लाउड सर्विस provider द्वारा operate किया जाता है। ये service provider हमे इंटरनेट पर कंप्यूटिंग रिसोर्सेज जैसे सर्वर और स्टोरेज जैसी सेवाएं प्रदान करती है। Microsoft Azure , aws-amazon web service ये सभी पब्लिक क्लाउड कंप्यूटिंग के उदाहरण है।

(2). Private Cloud Computing – Private cloud computing की बात करे तो यह क्लाउड कंप्यूटिंग resources ज्यादातर single business या किसी organisation द्वारा use किया जाता है। Private cloud कंपनी के onsite data centre पर physically locate होता है। कई कंपनियां third party service provider को pay करते है उनके private cloud को होस्ट करने के लिए। प्राइवेट क्लाउड में service और infrastructure एक private network में maintained रहता है।

(3). Hybrid Cloud Computing – Hybrid clouds, Private clouds or Public clouds का मिला जुला टेक्नोलॉजी है। हाइब्रिड क्लाउड में आप डाटा और एप्लीकेशन को आपस में शेयर कर सकते है। और जिसे प्राइवेट रखना चाहते है उसे प्राइवेट रख सकते है। हाइब्रिड क्लाउड आपको ज्यादा flexibility, ज्यादा deployment का ऑप्शन देता है और security, और infrastructure को optimise करने में हेल्प करता है।

(B). Cloud Service के आधार पर –

  1. Iaas (Infrastructure as a service )
  2. Paas (Platform as a service )
  3. Saas (Software as a service ).

(1). Iaas (Infrastructure as a service) – इस प्रकार के क्लाउड सर्विस में हमे एक पूरा infrastructure मिलता है , इसमें physical and virtual server, networking, storage , and software का सारा कण्ट्रोल यूजर को मिलता है। इसमें क्लाउड सर्विस प्रोवाइडर आपको अपने IT resources पर अच्छा management control और flexibility provide करता है। उदाहरण – VPS (Virtual Private Server).

(2). Paas (Platform as a service) – Paas में आपको एक platform मिलता है। इसमें आपको इसके hardware और operating system को manage करने की जरुरत नहीं होती है। इसमें आपको software maintenance, capacity planning करने की जरुरत नहीं है। इसमें सारा कुछ क्लाउड सर्विस प्रोवाइडर के कण्ट्रोल में होता है। उदाहरण – Gmail.

(3). Saas (Software as a service) – Saas में आपको सॉफ्टवेयर एप्लीकेशन को आपके लिए इंटरनेट पर डिलीवर किया जाता है यूजर के demand पर या subscription basis पर। इसमें क्लाउड प्रोवाइडर सॉफ्टवेयर एप्लीकेशन को आपके लिए होस्ट और मैनेज करता है और साथ ही अन्य तरह की maintenance जैसे software upgrade करना और security patching आदि। इसमें आसानी से यूजर इंटरनेट के जरिये इस एप्लीकेशन को अपने ब्राउज़र में रन कर सकता है । जैसे – google docx online आदि ।

Cloud Computing के फायदे

(1). Low Cost – क्लाउड कंप्यूटिंग में आप अपने आवश्यकता अनुसार स्टोरेज खरीद सकते है । इसमें आपको उतने ही स्पेस के पैसे चुकाने होंगे जितना आपको स्पेस की जरुरत है।

(2). Easy to access – क्लाउड सर्विस को आप आसानी से चला पाएंगे इसको आप इंटरनेट के जरिये कही से भी लॉगिन आईडी और पासवर्ड के जरिये access कर सकते है।

(3). Data Backup – क्लाउड सर्विस प्रोवाइडर आपको डाटा बैकअप जैसी सुविधा भी आपको प्रदान करते है। आप आसानी से अपने डाटा का बैकअप बना कर क्लाउड स्टोरेज में सेव कर सकते है।

(4). Large Storage – क्लाउड कंप्यूटिंग सर्विस में आप अपने जरुरत के हिसाब से स्टोरेज बढ़ा या खरीद सकते है । इसमें आपका पूरा डाटा क्लाउड पर सेव होगा , इसमें आपको स्पेस की चिंता करने की जरुरत नहीं है।

आज हमने क्लाउड कंप्यूटिंग के बारे में कई चीजों को जाना और समझा। हम आशा करते है कि What is cloud computing ? Cloud Computing kya hai in hindi ? आपको अच्छे से समझ आया होगा। अगर आपका कोई सवाल या कोई सुझाव हो तो कमेंट करे । साथ ही इस जानकारी को अन्य लोगो तक भी शेयर अवश्य करे ।

 

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